वर्तमान कर प्रणाली में वस्तु एवं सेवाओं पर कई प्रकार के कर विभिन्न स्तरों पर केंद्र एवं राज्य द्वारा संग्रह किये जाते हैं | विभिन्न स्तरों पर कर संग्रह से करों के दोहराव की समस्या उत्पन्न होती है | इसके अतिरिक्त विभिन्न राज्यों अनेक प्रकार की कर प्रणालियाँ होने से व्यापार में असुविधा होती है | जीएसटी के लागू होने पश्चात् करों के दोहराव की समस्या समाप्त होगी एवं पूरे भारत में एकसमान कर प्रणाली लागू होने से व्यापार सरलता का निर्माण
होगा | जीएसटी के अंतर्गत केंद्र एवं राज्यों द्वारा संग्रह किये जाने वाले लगभग दर्जन भर करों को निम्नलिखित तीन करों में समाहित किया जायेगा :
- सेन्ट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (सीजीएसटी) : राज्य के आन्तरिक व्यापार में यह केंद्र सरकार द्वारा संग्रह किया जायेगा
- स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (एसजीएसटी) : राज्य के आन्तरिक व्यापार में यह राज्य द्वारा संग्रह किया जायेगा |
- इंटिग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (आईजीएसटी) : अन्तर्राज्यीय व्यापार में यह केंद्र सरकार द्वारा संग्रह किया जायेगा |
जीएसटी के अंतर्गत समाहित होने वाले कर :
केन्द्रीय कर | राज्य कर |
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सेन्ट्रल एक्साइज ड्यूटी | वैट/ सेल टैक्स |
एडिशनल एक्साइज ड्यूटी | लाटरी, बेटिंग, गैम्बलिंग कर |
स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑन कस्टम्स | ऑक्ट्राय व एंटी टैक्स |
सर्विस टैक्स | परचेज टैक्स |
सेंट्रल सरचार्ज एंड सेसेज | लक्जरी टैक्स |
ड्यूटीज ऑफ़ एक्साइज | स्टेट सेस एवं सरचार्ज |
मेडिसिनल एंड टॉयलेट प्रेपेरेंस | सेंट्रल सेल्स टैक्स |
वर्तमान कर प्रणाली और जीएसटी में प्रमुख अंतर :
वर्तमान कर प्रणाली | वस्तु एवं सेवा कर |
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अलग-अलग करों के लिए अलग-अलग कानून | एकमात्र जीएसटी कानून |
विभिन्न टैक्स रेट | एक सीजीएसटी रेट और सभी राज्यों में समान एसजीएसटी रेट |
करों के दोहराव की समस्या | करों की दोहराव की समस्या नहीं |
करों का बोझ | करों के बोझ में कमी |
वस्तु एवं सेवाओं का उच्च मूल्य | मूल्य में कमी |
जटिल कर प्रणाली | तुलनात्मक रूप से सरल |