जीएसटी इनपुट क्रेडिट टैक्स

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“इनपुट टैक्स” को एम.जी.एल. की धारा 2(57) और आई.जी.एस.टी. अधिनियम की धारा 2(1)(डी) में परिभाषित किया गया है। एक कराधीन व्यक्ति के संबंध में, इनपुट टैक्स, का मतलब सी.जी.एस.टी. अधिनियम से संबंधितं {आई.जी.एस.टी. और सी.जी.एस.टी.} है और एस.जी.एस.टी. अधिनियम के संबंध में {आई.जी.एस.टी. और एस.जी.एस.टी.} है, जिसे किसी भी वस्तुओं और/या सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है जिसका उपयोग किया गया है, या उपयोग करने का इरादा है, व्यापार के लिये या व्यापार को आगे बढ़ाने में और धारा 7 की उपधारा (3) के अंतर्गत देय कर शामिल है।

आई.जी.एस.टी. अधिनियम के अंतर्गत, इनपुट टैक्स को आई.जी.एस. टी., सी.जी.एस.टी. या एस.जी.एस.टी. के रूप में परिभाषित किया गया है जिसे किसी भी वस्तुओं और/या सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया गया है।

तीन अधिनियमों अर्थात सी.जी.एस.टी., एस.जी.एस.टी. और आई.जी.एस.टी. अधिनियमों में “इनपुट टैक्स” की अलग अलग परिभाषायें:

यह संकेत करता है कि सी.जी.एस.टी. अधिनियम में इनपुट टैक्स में आई.जी.एस.टी. और सी.जी.एस.टी. तथा एस.जी.एस.टी अधिनियम में आई.जी.एस.टी. और एस.जी.एस.टी. सम्मिलित होते हैं। आई.जी.एस.टी. अधिनियम के अंतर्गत, इनपुट टैक्स में तीन कर सम्मिलित होते हैं अर्थात, आई.जी.एस.टी., सी.जी.एस.टी. और एस.जी.एस.टी.। आगे यह भी संकेत करता है कि इन तीनों का क्रेडिट आई.जी.एस.टी. दायित्व के निर्वहन के लिए प्रयोग किया जा सकता है, जबकि आई.जी.एस.टी. और सी.जी.एस.टी. का क्रेडिट केवल सी.जी.एस.टी. अधिनियम में लिया जा सकता है तथा इसी प्रकार आई.जी.एस.टी. और एस.जी.एस.टी. का क्रेडिट एस.जी.एस.टी. अधिनियम में लिया जा सकता है। इसके अतिरिक्त सी.जी.एस.टी. और एस.जी. एस.टी. के क्रेडिट का उपयोग एक दूसरे के प्रतिकूल नहीं किया
जा सकता।

क्या रिवर्स प्रभार पर भुगतान किये गये जीएसटी को इनपुट कर के रूप में माना जा सकता है?

उत्तरः हाँ। इनपुट कर की परिभाषा में धारा 7 की उप-धारा (3) के अंतर्गत (रिवर्स प्रभार) देय कर शामिल है। इसके क्रेडिट का लाभ उठाया जा सकता है अगर व्यापारिक प्रयोजन या व्यापार को आगे बढ़ाने के लिये ऐसी वस्तुओं और/या सेवाओं का प्रयोग किया जाता है या प्रयोग किये जाने का इरादा है।

क्या इनपुट कर में इनपुट माल, इनपुट सेवाओं और/या पूंजीगत माल पर भुगतान किये कर (सी.जी.एस.टी./आई.जी.एस. टी./ एस.जी.एस.टी.) शामिल है?

उत्तरः हाँ, क्रमशः एम.जी.एल. की धारा 2(54), 2(55) और 2(20) के संदर्भ में। इस पर ध्यान दिया जा सकता है कि पूंजीगत वस्तुओं पर भी भुगतान किये कर के क्रेडिट का लाभ एक किस्त में उठाने की अनुमति दी जाती है।

एक व्यक्ति की आई.टी.सी. की पात्रता क्या है जिसने अधिनियम के अंतर्गत पंजीकरण करने की उत्तरदायी तिथि से तीस दिनों के भीतर पंजीकरण का आवेदन किया है और उसे कथित पंजीकरण प्रदत्त कर दिया गया है?

उत्तरः वह उसके पास रखे स्टाॅक और अर्ध-निर्मित माल या स्टाॅक में रखे तैयार माल पर इनपुट कर का क्रेडिट प्राप्त करने का हकदार तुरन्त उस तिथि की एक दिन पूर्व तिथि पर हो जाएगा जिस तारीख को अधिनियम के प्रावधान के अंतर्गत वह कर के भुगतान करने के लिये उत्तरदायी हो जाता है। इस पर ध्यान दिया जाना चाहिये कि पंजीकरण करने से पहले रखे स्टाॅक पर क्रेडिट स्वीकार्य नहीं होगा यदि जिस तारीख से वह पंजीकरण के लिये उत्तरदायी हो जाता है उसके 30 दिनों की अवधि के भीतर वह पंजीकरण प्राप्त नहीं कर लेता।

एक व्यक्ति की स्टाॅक में रखे कच्चे माल पर इनपुट टैक्स क्रेडिट की क्या पात्रता है जिसने स्वेच्छा से पंजीकरण प्राप्त किया है?

उत्तरः एम.जी.एल. की धारा 16(2) के अनुसार, एक व्यक्ति जो स्वैच्छिक पंजीकरण प्राप्त करता है उसे पंजीकरण की तारीख से तुरन्त पहले की तारीख पर स्टॉक में रखे कच्चे माल, स्टॉक में अर्ध-निर्मित माल और स्टाॅक में रखे तैयार माल पर इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने की पात्रता प्राप्त होगी।

उन मामलों में इनपुट कर की पात्रता क्या होगी जहां एक पंजीकृत कराधीन व्यक्ति के संस्थापन में कोई परिवर्तन होता है?

उत्तरः एम.जी.एल. की धारा 16(8) के अनुसार, हस्तांतरणकर्ता को ऐसे इनपुट टैक्स क्रेडिट का हस्तांतरण करने की अनुमति दी जाएगी जो उसके खाता बहियों में प्रयोग नहीं किये गये बशर्ते यह कि वहां देनदारियों के हस्तांतरण के लिए विशिष्ट प्रावधान होने चाहिये।

उस मामले में इनपुट टैक्स की पात्रता क्या होगी जहां वस्तुओं और/या सेवाओं के लिए पंजीकृत कराधीन व्यक्ति द्वारा आपूर्ति पूरी तरह से छूट प्राप्त हैं?

उत्तरः एम.जी.एल. की धारा 16(12) के अनुसार, एक पंजीकृत कराधीन व्यक्ति जो उन वस्तुओं और/या सेवाओं की आपूर्ति करता है जिनपर पूरी तरह छूट दी गई है, उसे उसके स्टाॅक में रखे कच्चे माल और अर्ध-निर्मित माल या तैयार माल पर छूट देने की तारीख से तुरन्त एक दिन पहले की तारीख पर इनपुट टैक्स क्रेडिट के समतुल्य राशि का भुगतान करना होगा है। यह भी प्रावधान किया गया है कि इस तरह के वस्तुओं पर राशि के भुगतान के बाद, शेष राशि, यदि किसी इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट खाता बही में उपलब्ध है वह रद्द हो जाएगा। राशि, जिसका भुगतान किया जाना आवश्यक है, एम.जी.एल. की धारा 16(13) के अनुसार उसकी गणना जीएएपी के रूप में की जाएगी।

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